तेरे हाथों के दरमियान......
तेरे हाथों के दरमियां उस नरमी को थामे हुए कुछ ही पल हुए थे,
कि मानो सारी जिंदगी ही जी ली हो मैंने।।
देर से तो मिले थे लेकिन दूर तक चले थे वह सफर मुझे आज भी याद है।।
कि वह सफर मुझे आज भी याद है ।।
जमाने भर ने देखा था, तुमने हाथ थामा था ,
जो बार-बार आए ऐसी याद हो तुम ।।
बेकदर सी जिंदगी को कदर दी तुमने ,
आज भी इस खिले चेहरे की मुस्कान हो तुम।।
जिंदगी के कुछ पन्ने पलटने अभी बाकी थे ,
कि जिंदगी के कुछ पन्ने पलटने अभी बाकी थे ,
कुछ पन्नों पर तुम्हारी स्याही के निशान अभी बाकी थे।।
तुम्हारे साथ का साथ एक मंज़र बन गया ,
कि तुम्हारे साथ का साथ एक मंजर बन गया,
वो मेरी धड़कनों सी चलती पूरी कायनात हो तुम ।।
यूं तो यह अनकही सी कहानियां अपनी शाम ढूंढते ढूंढते थक गई ,
किसे पता था की ये अपना गान उन खामोशियों में करती गई।।
की किसे पता था की ये अपना गान उन खामोशियों में करती गई।।
सुप्रिया सोनी।।
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