अनजान राही।

ट्रेन में जैसे ही मैं अपनी सीट पर बैठी अचानक मेरी नजर उस पर गई। और मानो थम सी गई। फिर जैसे ही उसने मुझे देखा मैं अपने मोबाइल में देखने लगी जैसे मैंने उसे देखा ही नहीं ।

दिखने में गुड लुकिंग बोलने में बहुत ही सहज और खाना खाने के तरीके में एकदम एक्सपर्ट यह सारी चीज कुछ ही देर में मैं ऑब्जर्व कर ली थी फिर क्या था स्टेशन पर ट्रेन रुकी और वह नीचे उतरा कुछ लेने के लिए मुझे भी उसने पूछा कि आपको कुछ चाहिए और मैं अचानक ख्यालों से बाहर आई और पहले तो एकटक उसे देखने लगी और फिर कहा हां हाइड एंड सीक बिस्किट हाइड एंड सीक बिस्किट का एक पैकेट प्लीज ।

वह जैसे ही समान लेकर आने लगा ट्रेन चल दी थी मैंने उसे हाथ दिया पकड़ने के लिए और वह ट्रेन में आ गया मानो एक जीत हासिल कर ली हो हम दोनों ने ही।

उसका बोलने का तरीका मुझे बहुत पसंद आया और दिखने में वह किसी अच्छे घर का लग रहा था। मैं उससे और भी बात करना चाहती थी उसका नाम पूछना चाहती थी पर उसका स्टेशन आ गया था और वह जाने लगा ।पीछे मुड़कर उसने मुझे नहीं देखा और मैंने भी बिना नाम जाने उसे जाने दिया।

 कई बार जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जहां अनजान रही कोई आकर अपनेपन का एहसास दे जाता है। मानो सदियों से उसके साथ रह रहे हैं और आगे का समय भी उसके साथ के साथ अच्छा बीतेगा।

ट्रेन चल दी थी स्टेशन और वह दोनों जा चुके थे ।मैंने हाइड एंड सीक के पैकेट पर उसका स्पर्श महसूस किया और उसे अपने साइड बैग में रख लिया। घर पहुंचने के बाद काफी दिन तक मैंने उसके नाम न पूछने और बात न करने की अपनी खामी के बारे में सोचा।
 लेकिन बाद में मैं जान गई थी कि कुछ लोगों का साथ जिंदगी में थोड़ा ही होता है और उसे थोड़े से समय में वे दिल छू जाते हैं और एहसास बनकर सदा हमारे साथ रहते हैं

अनजान राही।
सुप्रिया सोनी।

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