रविवार का वृत्तांत
कल रात से ही बहुत तेज़ बारीश हो रही है।आज तो मैने रूम के दोनों ओर के दरवाज़े ओपन किए हुए हैं।आज रविवार था रविवार का मतलब "चीट डे" क्युकी इन दिनों थोड़ा वेट लॉस करने की कोशिश कर रही हू।तो आज मूड बन गया और भाभी और आंटी के साथ (जिनके यहां मैं रहती हूं यहा अहमदाबाद में) उनकी हेल्प की ओर पुड़िया बेलना स्टार्ट कर दिया।
भाभी और आंटी के साथ बात करते करते कब हमने खूब सारी पूड़ियां बना ली पता ही नहीं चला। भईया लोगों को क्रिस्पी पुड़िया पसंद थी तो उनके लिए क्रिस्पी और मुझे सॉफ्ट पूड़ी पसंद है इस लिए मेरे लिए मैंने स्पेशल सॉफ्ट पूड़ी बनाई।
अब सुनिए सबसे खास बात अंकल जी जो बोहोत ही अच्छे है और मजाकिया स्वभाव के हैं उन्हें मैं मज़ाक में अपना दुश्मन कह कर बुलाती हूं, उन्होंने भी आज मुझे थैंक यू बोल कर मेरी तारीफ की उन सॉफ्ट सॉफ्ट पुड़ियों की।
हां गर्मी का सीजन है किचन में एक मिनट भी रुकने का में nhi करता पर भाभी दीदी आंटी जी के साथ बात करते करते कब सब हो गया पता ही नही चला।
फिर हमने बैठ कर अच्छे से गरम गरम पुड़िया खाई ।लाजवाब बोहोत ही सॉफ्ट थी और उसके साथ पुदीने वाली चाय वाह।
दिल और पेट दोनो खुश हो गए आज तो।
रविवार का दिन था फिर भी मैंने आज जल्दी नहा लिया था ।
और अपना फेवरेट नाइट सूट पहन कर तैयार होकर बैठ गई और लिखने लगी ये वृत्तांत। उन बारिश की बूंदों का मजा लेते हुए।मां को भी फोन करके ये सब बताया।वो बोहोत खुश हुई यह देखकर की कसे मैं इन छोटी-छोटी चीज़ों में खुशियां ढूंढ रही हूं उनसे दूर होकर भी।
कैसा लगा बतियेगा आप भी।
सुप्रिया सोनी!
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