अहसास।।
पिछले एक साल से हम ऑफिस में एक साथ थे मैं और मेरी कलीग।आज उनके ट्रांसफर ऑर्डर्स आ गए थे । अचानक मन में वह सब चलने लगा जब हम एक टीम बनाकर काम किया करते थे फिर आपस में एक दूसरे का ख्याल रखा करते थे फिर चाहे वह एक दूसरे को पानी पीने के लिए बोलना हो या फिर स्नैक्स के रूप में एक दूसरे के लिए कुछ लाना हो।
सुबह उनके आने के इंतजार से लेकर शाम को काम खत्म होने पर उनके साथ मजाक मस्ती करना सब बस यादें बन गई थी।
गम तो इस बात का था कि अब मंगलवार को साथ मंदिर कौन जाएगा। शाम के समय एक आउटिंग कैसे होगी जिसमें हम अक्सर मैंगो शेक पिया करते थे। उनका थोड़ी देर के लिए भी बात ना करना मानो मन में अजीब से ख्याल ला देता था। फिर जैसे ही कोई मुश्किल आई तो एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बन कर खड़े हो जाना इतना साहस देता मानो उनके लिए आज दुनिया से लड़ जायेंगे।
उनका एक झलक देखना ही हजारों सवालों के जवाब दे देता था उनकी बात को मैं टाल भी नहीं सकती थी चाहे वह सही हो या गलत। हर समय उनके चेहरे पर हंसी लाने को तैयार जिसमें असल में मेरी खुशी और हंसी दोनों छुपी थी। आज हम अलग हो रहे थे जैसे यह छोटी सी दुनिया जो हमने आपसी लगाव से बनाई थी बस उजाड़ सी गई थी।
वो कहते हैं ना अगर स्नेह दिल से हो तो दिल दूरी नहीं देखता। फिर दूर रहकर भी अपनेपन का एहसास,वह खुशी बनी रहती है। बस इसी दिल की सुनकर वह एहसास को संजो कर रख लिया है क्योंकि दिल के रिश्ते आसानी से टूटा नहीं करते।
सुप्रिया सोनी।
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