तिरुपति ऋषिवन : एक यात्रा वृत्तांत
कल का दिन बहुत ही अच्छा रहा ! तिरुपति ऋषिवन जो कि एक जंगल जैसा पिकनिक स्पॉट है मैं वहां गई। जिनके यहां मैं पेइंग गेस्ट के रूप मे रहती हूं उन भईया-भाभी , दीदी-जीजाजी और बच्चों के साथ मैं वहां गई।सिर्फ कहने के लिए पेइंग गेस्ट "हां" क्यूंकि इन्होंने तो हमेशा अपना बनाकर ही रखा है।
वो कहते है ना दिल बड़ा होना चहिए बातें तो सभी बड़ी बड़ी करते हैं.......बस ऐसा ही है यह परिवार जो इतने अपनेपन से रखता है की उसे बयां करने के लिए शायद मेरे शब्द कम पड़ जाएंगे।अब वहां जाकर हमने रॉप क्लाइंबिंग, रॉप वॉकिंग जैसी कई एक्टिविटी की ओर खूब झूले झूले और अच्छी-अच्छी चीज खाई। मज़ा ज्यादा इसलिए नहीं आया की वहां ये सब चीजें थीं बल्कि इसलिए आया क्यूंकि सब साथ थे और ये सिर्फ कहने की ही बात नहीं है बात में दम इसलिए है क्यूंकि सब साथ हों तो खाली मैदान में भी हरियाली दिखाई देने लगती है।है ना सो आने सच बात।।
घर आने से पहले शाम को मंदिर भी गए जो की मेरे मन को सुकून देने वाला था।हर कोई अलग-अलग चीज़ों में अलग-अलग परिस्थितियों में सुकून ढूंढता है।मुझे मेरा सुकून वहां मिला। फिर डिनर करके हम लोग घर वापस आ गए।
सबसे जरूरी काम था जो रात में करना था और वो था मां के लिए अच्छी अच्छी तस्वीरें ढूंढना। क्योंकि आज मेरी मां का जन्मदिन है Wish You the happiest Birthday mumma love you forever or always to the infinity and beyond!!
सुप्रिया सोनी
👌🏻👌🏻
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