जैसे आज....
आज मौसम का मिजाज़
कुछ अलग सा लगा....
जैसे ये खुला आसमां इन हवाओं,
इन फिज़ाओं को अपनी बाहौं में लिये
आज कुछ कहना चाहता हो....
जैसे बादल आज जमकर बरसना चाहते हों ......
जैसे राहें आज खुद चलना चाहती हों......
जैसे ये हरे-भरे बाग इन फ़ूलों को लिये ,
और ये फ़ूल अपनी खुशबू को लिये
आज अपने पंख फैलाना चाहते हों.......
जैसे ये पत्ते उन बारिश के झोँकों में
आज जमकर लहराना चाहते हों.....
जैसे आज ये बादल अभी बस
बरसने ही वाले हों.....
- 'सुप्रिया सोनी'
आज मौसम का मिजाज़
कुछ अलग सा लगा....
जैसे ये खुला आसमां इन हवाओं,
इन फिज़ाओं को अपनी बाहौं में लिये
आज कुछ कहना चाहता हो....
जैसे बादल आज जमकर बरसना चाहते हों ......
जैसे राहें आज खुद चलना चाहती हों......
जैसे ये हरे-भरे बाग इन फ़ूलों को लिये ,
और ये फ़ूल अपनी खुशबू को लिये
आज अपने पंख फैलाना चाहते हों.......
जैसे ये पत्ते उन बारिश के झोँकों में
आज जमकर लहराना चाहते हों.....
जैसे आज ये बादल अभी बस
बरसने ही वाले हों.....
- 'सुप्रिया सोनी'
Gjb 👍
ReplyDeleteThanks.....
Delete👌👌
ReplyDeleteThank you...
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ReplyDeleteYour hard work can not gone unnoticed. I would like to congratulate you on such a nice lines written by you.
ReplyDeleteI really appreciate everything you do.
I would like to request you to write down something on LOCKDOWN..
Title Would Be " Haaay Ye LOCKDOWN"
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