ज़िंदादिली
ज़िंदादिली वो रेत के ढ़ेर जो हवा के साथ चल रहे हैं उनमें है। पेड़ से लिपटी पत्तियां जो नाच रही हैं उनमें है। लालिमा को गले लगाए उस आसमां में है। वो हवाएं जो नमी लिए हुए हैं उनमें है। यारों की यारी में झलक रही मस्ती में है। अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाने में है। अपने हुनर से ज़िंदगी को लाजवाब बनने में है। स्कूल के बच्चों की खिलखिलाहट में है। पतझड़ के बाद पेड़ पर आई नई पत्तियों में, उन नए लगे फूलों की खुशबू में है और उन फलों में है। उन फलों के छुपछुपकर तोड़कर खाने की धुन में है। अपनी चाहत को पाने के उस इंतज़ार के उस खुमार में है। किसी के लिए दुआ बनने में है, तो किसी के लिए जीवन जीने का कारण बनने में है। सुप्रिया सोनी।